कुछ बातों के मतलब हैं
और कुछ मतलब की बातें, . . .
जब से फर्क समझा,
जिंदगी आसान हो गई!!
दुरिया खलती है मुझे....
इतने करीब रिश्तों में...!!
कि आ भी जाओ मेरे पास. ..
यु ना मोहब्बत दो मुझे किश्तो मे..!!
इतना भी गुमान न कर
आपनी जीत पर ऐ बेखबर,
शहर में तेरे जीत से ज्यादा
चर्चे तो मेरी हार के हैं..!!
तुम खुश-किश्मत हो जो
हम तुमको चाहते है वरना,
हम तो वो है जिनके ख्वाबों मे
भी लोग इजाजत लेकर आते है..!!
वो खुद पर गरूर करते है,
तो इसमें हैरत की कोई बात नहीं,
जिन्हें हम चाहते है,
वो आम हो ही नहीं सकते !
कोई मिला नहीं तुम
जैसा आज तक,
पर ये सितम अलग है
की मिले तुम भी नही
मुझे भी शामिल करो गुनहगारों की महफ़िल में ,
मैं भी क़ातिल हूँ अपनी हसरतों का ,
मैंने भी अपनी ख्वाहिशों को मारा है।
बड़ी अजीब सी मोहब्बत थी तुम्हारी……
पहले पागल किया..फिर पागल कहा..
फिर पागल समझ कर छोड़ दिया..
याद है मुझे मेरी हर एक गलती,
एक तो मोहब्बत कर ली,
दुसरी तुमसे कर ली,
तिसरी बेपनाह कर ली
हर बार सम्हाल लूँगा गिरो
तुम चाहो जितनी बार,
बस इल्तजा एक ही है कि
मेरी नज़रों से ना गिरना...!!
वफ़ा का दरिया कभी रुकता नही,
इश्क़ में प्रेमी कभी झुकता नही,
खामोश हैं हम किसी के खुशी के लिए,
ना सोचो के हमारा दिल दुःखता नहीं!
गुलाम बनकर जिओगे तो.
कुत्ता समजकर लात मारेगी तुम्हे ये दुनिया
नवाब बनकर जिओगे तो,
सलाम ठोकेगी ये दुनिया….
दम कपड़ो में नहीं,
जिगर में रखो….
बात अगर कपड़ो में होती तो,
सफ़ेद कफ़न में,
लिपटा हुआ मुर्दा भी सुल्तान मिर्ज़ा होता
मोहब्बत भी हाथों में लगी
मेहँदी की तरह होती है
कितनी भी गहरी क्यों ना
हो फीकी पड़ ही जाती है।
इरादा कतल का था तो
मेरा सिर कलम कर देते ,
क्यों इश्क़ में डाल कर तूने
मेरी हर साँस पर मौत लिखदी।
हमें तो प्यार के दो
लफ़्हज़ भी ना नसीब हुए..
और बदनाम ऐसे हुए जैसे
इश्क़ के बादशाह थे हम
तुम जिन्दगी में आ तो
गये हो मगर ख्याल रखना,
हम जान तो दे देते हैं...
मगर जाने नहीं देते..
अगर फुर्सत के लम्हों में मुझे
याद करते हो तो अब मत करना,
क्योंकि मैं तन्हा जरूर हूँ ...
मगर फ़िज़ूल बिलकुल नहीं...
किसी के दिल में क्या छुपा है
ये बस खुदा ही जानता है,
दिल अगर बेनकाब होता तो
सोचो कितना फसाद होता.
चाहत देस से आनेवाले ये
तो बता के सनम कैसे हैं ..?
दिलवालों की क्या हालत हैं,
यार के मौसम कैसे हैं ...
न समझ मैं भूल गया हूँ तुझे,
तेरी खुशबू मेरे सांसो में आज भी हैं ।
मजबूरियों ने निभाने न दी मोहब्बत,
सच्चाई मेरी वफाओ में आज भी हैं ।
परछाई आपकी हमारे दिल में है,
यादे आपकी हमारी आँखों में है,
कैसे भुलाये हम आपको,
प्यार आपका हमारी साँसों में है
इश्क़ सभी को जीना सिखा देता है,
वफ़ा के नाम पर मरना सीखा देता है,
इश्क़ नहीं किया तो करके देखो,
ज़ालिम हर दर्द सहना सीखा देता है!
बरबाद कर देती है मोहब्बत,
हर मोहब्बत करने वाले को,
क्योंकि इश्क़ हार नही मानता,
और दिल बात नही मानता।
नफरतों के जहान में हमको
प्यार की बस्तियां बसानी हैं,
दूर रहना कोई कमाल नहीं,
पास आओ तो कोई बात बने।
आ जाओ लहराती इठलाती हुई,
तुम इन हवाओं की तरह!
मौसम ये बहुत बेदर्द है,
तुझे मेरे दिल से पुकारा है!!
अक्सर ठहर कर देखता हूँ
अपने पैरों के निशान को,
वो भी अधूरे लगते हैं…
तेरे साथ के बिना।
तेरी आँखों में जब से मैंने
अपना अक्स देखा है,
मेरे चेहरे को कोई आइना
अच्छा नहीं लगता।
रह न पाओगे भुला कर देख लो,
यकीं न आये तो आजमा कर देख लो,
हर जगह महसूस होगी मेरी कमी,
अपनी महफ़िल को कितना भी सजा कर देख लो।
ख्वाहिश तो ना थी किसी से दिल लगाने की,
मगर जब किस्मत में ही दर्द लिखा था
तो मोहब्बत कैसे ना होती।
दुनिया बहुत मतलबी है,
साथ कोई क्यों देगा,
मुफ्त का यहाँ कफ़न नहीं मिलता,
तो बिना गम के प्यार कौन देगा।
ताज़ी है अब भी उस मुलाकात की खुशबू
जज़्बात में डूबे हुवे लम्हात की खुशबू
जिस हाथ कों पल भर के लिए थाम लिया था
मुद्दत से है हाथ में उसी हाथ की खुशबू
कुर्बान हो जाऊं उस सख्स
के हाथों की लकीरों पर
जिसने तुझे माँगा भी नहीं
और तुझे अपना बना लिया ......!
दर्द से हाथ न मिलाते तो और क्या करते!
गम के आंसू न बहाते तो और क्या करते!
उसने मांगी थी हमसे रौशनी की दुआ!
हम खुद को न जलाते तो और क्या करते!
अगर फुर्सत के लम्हों में मुझे
याद करते हो तो अब मत करना,
क्योंकि मैं तन्हा जरूर हूँ ...
मगर फ़िज़ूल बिलकुल नहीं..
किसी के दिल में क्या छुपा है
ये बस खुदा ही जानता है,
दिल अगर बेनकाब होता
तो सोचो कितना फसाद होता..
रात की गहराई आँखों में उतर आई,
कुछ ख्वाब थे और कुछ मेरी तन्हाई,
ये जो पलकों से बह रहे हैं हल्के हल्के,
कुछ तो मजबूरी थी कुछ तेरी बेवफाई.
बिछड़ के तुमसे ज़िन्दगी सज़ा लगती है
ये सांस भी जैसे मुझसे ख़फ़ा लगती है
अगर उम्मीद-ए-वफ़ा करूँ तो किससे करूँ
मुझको तो मेरी ज़िंदगी भी बेवफा लगती है.
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