इन "आँखों" को......थोड़ा और "तरसने" दे...!!
आज "बादल".......की बारी है उसे ही "बरसने" दे...!!
आज "बादल".......की बारी है उसे ही "बरसने" दे...!!
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सुना है बहुत बारिश हो रही है तुम्हारे शहर में
ज्यादा भीगना मत
अगर धूल गयी सारी गलतफहमियां तो बहुत याद आएंगे हम।
ज्यादा भीगना मत
अगर धूल गयी सारी गलतफहमियां तो बहुत याद आएंगे हम।
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बरसात की भीगी रातों में फिर कोई सुहानी याद आई
कुछ अपना ज़माना याद आया कुछ उनकी जवानी याद आई....!!
कुछ अपना ज़माना याद आया कुछ उनकी जवानी याद आई....!!
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बारिश में रख दो इस जिंदगी के पन्नों को ताकि धुल जाए स्याही....
ज़िन्दगी फिर से लिखने का मन करता है कभी- कभी..
ज़िन्दगी फिर से लिखने का मन करता है कभी- कभी..
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"कल हलकी सी बरसात में हो गयी मुलाकात उनसे,
नज़रों की शबनम ने जैसे कर ली हो हर बात ...उनसे,
उनकी आँखों में थी ऐसी कशिश के क्या कहें,
मेरे जिस्म के रोम रोम ने कर ली मोहब्बत उनसे"
नज़रों की शबनम ने जैसे कर ली हो हर बात ...उनसे,
उनकी आँखों में थी ऐसी कशिश के क्या कहें,
मेरे जिस्म के रोम रोम ने कर ली मोहब्बत उनसे"
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Barish aur mohabbat dono
hi bohat yaadgar hote hain,
Farq sirf itna hai,
Barish main jism bheeg jata hai
aur mohabbat main ankhain..
hi bohat yaadgar hote hain,
Farq sirf itna hai,
Barish main jism bheeg jata hai
aur mohabbat main ankhain..
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इन बारिशों से दोस्ती अच्छी नही ,
कच्चा तेरा मकान है, कुछ तो ख्याल कर..
कच्चा तेरा मकान है, कुछ तो ख्याल कर..
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बरसात तो हुई मगर सावन नहीं आया
अबके बरस भी लौटके साजन नहीं आया
मेरी आंखों में छुपा है तेरा ही उजाला
दिल में रहा चांद, मेरे आंगन नहीं आया
तुमसे जो मुहब्बत की तो दुनिया भी छोड़ दी
और तू भी कभी थामने दामन नहीं आया
मेरी मौत भी बेबस है आके तेरे दर पे
ये जान कह रही है कि जानम नहीं आया
अबके बरस भी लौटके साजन नहीं आया
मेरी आंखों में छुपा है तेरा ही उजाला
दिल में रहा चांद, मेरे आंगन नहीं आया
तुमसे जो मुहब्बत की तो दुनिया भी छोड़ दी
और तू भी कभी थामने दामन नहीं आया
मेरी मौत भी बेबस है आके तेरे दर पे
ये जान कह रही है कि जानम नहीं आया
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आग ये कितनी दूर जली है हमपे ये लौ बरस रही है
दूर निगाहों से होकर भी वो आंसू मुझे परोस रही है
हिलता नहीं है एक भी पत्ता कोई आंधी तरस रही है
सावन आया हर रातों में दुख की घटा गरज रही है
दूर निगाहों से होकर भी वो आंसू मुझे परोस रही है
हिलता नहीं है एक भी पत्ता कोई आंधी तरस रही है
सावन आया हर रातों में दुख की घटा गरज रही है
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Kisne bheege hue baalon se ye jhatkaa pani,
Jhoom ke aayi ghata toot ke barasa pani.
Koi matawali ghata peeke jawani ki umang,
Dil baha le gaya barsat ka pehala pani…
Jhoom ke aayi ghata toot ke barasa pani.
Koi matawali ghata peeke jawani ki umang,
Dil baha le gaya barsat ka pehala pani…
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बारिश का मौसम बहुत तडपता है;
उनकी याद हैं जिन्हें दिल चाहता है;
लेकिन वो आए भी तो कैसे;
ना उनके पास रैन कोट है और ना छाता है।
उनकी याद हैं जिन्हें दिल चाहता है;
लेकिन वो आए भी तो कैसे;
ना उनके पास रैन कोट है और ना छाता है।
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Jab Bhi Girti Hai Ye Boonde Patto Per,
Mere Dil Ko Tera Ahsas Hota Hai,
Dil Me Tufan Sa Mach Jata Hai,
Jab Tu Door Ho Or Barsat Hoti Hai...
Mere Dil Ko Tera Ahsas Hota Hai,
Dil Me Tufan Sa Mach Jata Hai,
Jab Tu Door Ho Or Barsat Hoti Hai...
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Is barish se keh do mere aangan mein na berse,
Is ki shiddat dekh kar koi bohat yaad aata hai .
Is ki shiddat dekh kar koi bohat yaad aata hai .
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Kya rog de gayi hai nye mousam ki barish,
Mujhe yaad aa rahe hain mujhe bhul jane wale
Mujhe yaad aa rahe hain mujhe bhul jane wale
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भीग रहा हे जला दिल मेरा इस बारिशमें फिर भी राहत नही है
प्यासा रह गया मैं फिर भी इसमे पिघली हुइ तेरी चाहत नही है
प्यासा रह गया मैं फिर भी इसमे पिघली हुइ तेरी चाहत नही है
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Agr Bhigne Ka Itna Hi Shaukh Hai Barish Mey,
To Deko Meri Aankho Mey,
Baarish To Har Ek Ke Liye Barasti Hai,
Lekin Ye Aankhe Sirf Tumhare Liye Barasti Hai…
To Deko Meri Aankho Mey,
Baarish To Har Ek Ke Liye Barasti Hai,
Lekin Ye Aankhe Sirf Tumhare Liye Barasti Hai…
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कल रात मैं उन बादलों से,
कुछ सवाल कर रहा,,,, की,,
ये तुम ही केवल चल रहे हो,
या चाँद भी साथ चल रहा है.?!
कुछ सवाल कर रहा,,,, की,,
ये तुम ही केवल चल रहे हो,
या चाँद भी साथ चल रहा है.?!
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Kash Meri Zindegi Mein Aaye Ek Aisi Barsaat,
Mere Hath Mein Ho Tera Hath,
Bheegte Rahein Hum Saari Raat,
Honth Rahe Khamosh,
Bas Aankhon Se Ho Teri Meri Baat,
Mere Hath Mein Ho Tera Hath,
Bheegte Rahein Hum Saari Raat,
Honth Rahe Khamosh,
Bas Aankhon Se Ho Teri Meri Baat,
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Kaash Meri Zindagi Mein Aaye Ek Aisi Barsaat,
Mere Hath Mein Ho Uska Hath,
bheegte Rahein Hum Saari Raat,
Honth Rahe Khamosh,
Bas Aankhon Se Ho Uski Aur Meri Baatein...
Mere Hath Mein Ho Uska Hath,
bheegte Rahein Hum Saari Raat,
Honth Rahe Khamosh,
Bas Aankhon Se Ho Uski Aur Meri Baatein...
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जी में आता है
दिल में भरे दर्द की
बस एक" चिलम" सुलगाऊं
एक तेज" कश भर कर"
गोल छल्लों. में उडाऊं
रीते मन की व्यथा
धुएं में खो जाए
आँखों में उतरे सावन से
एक घटा बरस जाए
और सुलगे हुए लम्हों को
कहीं ठंडक मिल पाए
दिल में भरे दर्द की
बस एक" चिलम" सुलगाऊं
एक तेज" कश भर कर"
गोल छल्लों. में उडाऊं
रीते मन की व्यथा
धुएं में खो जाए
आँखों में उतरे सावन से
एक घटा बरस जाए
और सुलगे हुए लम्हों को
कहीं ठंडक मिल पाए
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मौसम भी है और मौका भी है।
सावन के मौसम का झोका भी है।।
ऐसे में ना ले दिल अंगड़ाई तो देख
ये तेरी मदहोश आँखों का धोखा है।
सावन के मौसम का झोका भी है।।
ऐसे में ना ले दिल अंगड़ाई तो देख
ये तेरी मदहोश आँखों का धोखा है।
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Pyar Aur Barish Dono Ek Jaise Hote Hai,
Wo Humesha Yadgar Hote Hai,
Fark Sirf Itana Hai Ki,
Barish Sath Rah Kar Tan Bhi gati Hai,
Aur Pyar Door Rahkar Aankhe Bhigati Hai.
Wo Humesha Yadgar Hote Hai,
Fark Sirf Itana Hai Ki,
Barish Sath Rah Kar Tan Bhi gati Hai,
Aur Pyar Door Rahkar Aankhe Bhigati Hai.
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तैरना तो आता था हमे मोहब्बत के समंदर मे लेकिन,
जब उसने हाथ ही नही पकड़ा तो डूब जाना अच्छा लगा||
जब उसने हाथ ही नही पकड़ा तो डूब जाना अच्छा लगा||
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Aaj Mausam Kitna KhushNumA Hogya...!!
katam Sabhi Ka Intezar Hogya...!!
Barish Ki BunDe Giri KuCh Iss TaraH Se...!!
Jese AasAm ko Zameen Se pyar HoGya...!
katam Sabhi Ka Intezar Hogya...!!
Barish Ki BunDe Giri KuCh Iss TaraH Se...!!
Jese AasAm ko Zameen Se pyar HoGya...!
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प्यास वो दिल की बुझाने कभी आया भी नहीं
कैसा बादल है जिसका कोई साया भी नहीं
बेरुखी इस से बड़ी और भला क्या होगी
एक मुद्दत से हमें उस ने सताया भी नहीं
रोज़ आता है दर-ए-दिल पे वो दस्तक देने
आज तक हमने जिसे पास बुलाया भी नहीं
सुन लिया कैसे ख़ुदा जाने ज़माने भर ने
वो फ़साना जो कभी हमने सुनाया भी नहीं
कैसा बादल है जिसका कोई साया भी नहीं
बेरुखी इस से बड़ी और भला क्या होगी
एक मुद्दत से हमें उस ने सताया भी नहीं
रोज़ आता है दर-ए-दिल पे वो दस्तक देने
आज तक हमने जिसे पास बुलाया भी नहीं
सुन लिया कैसे ख़ुदा जाने ज़माने भर ने
वो फ़साना जो कभी हमने सुनाया भी नहीं
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